Ayurvedic Product For Piles

लक्षण :

  • मल त्याग करते वक्त तेज चमकदार रक्त का आना या म्यूकस का आना।
  • एनस के आसपास सूजन या गांठ सी महसूस होना।
  • एनस के आसपास खुजली का होना।
  • मल त्याग करने के बाद भी ऐसा लगते रहना जैसे पेट साफ न हुआ हो।
  • पाइल्स के मस्सों में सिर्फ खून आता है, दर्द नहीं होता। अगर दर्द है तो इसकी वजह है

कारण क्या हैं : :

  • कब्ज पाइल्स की सबसे बड़ी वजह होती है। कब्ज होने की वजह से कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इसकी वजह से पाइल्स की शिकायत हो जाती है।
  • ऐसे लोग जिनका काम बहुत ज्यादा देर तक खड़े रहने का होता है, उन्हें पाइल्स की समस्या हो सकती है।
  • मोटापा इसकी एक और अहम वजह है।
  • कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।
  • नॉर्मल डिलिवरी के बाद भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

Ayurvedic Product

Ashok (अशोक)

Kanchnar (कांचनार)

Nagkeshar (नागकेशर)

Jiwanti (जीवन्ति)

Lajwanti (लाजवंती)

Bakayan (बकायन)

Nimboli (निम्बोली)

Gorakhmundi (गोरखमुंडी)

Daruhaldi (दारुहल्दी)

Kattha (कत्था)

Rall (राल)

Vidang (विदंग)

पाइल्स की चार स्टेज:

ग्रेड 1

यह शुरुआती स्टेज होती है। इसमें कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते। कई बार मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे पाइल्स हैं। मरीज को कोई खास दर्द महसूस नहीं होता। बस हल्की सी खारिश महसूस होती है और जोर लगाने पर कई बार हल्का खून आ जाता है। इसमें पाइल्स अंदर ही होते हैं।

ग्रेड 2

दूसरी स्टेज में मल त्याग के वक्त मस्से बाहर की ओर आने लगते हैं, लेकिन हाथ से भीतर करने पर वे अंदर चले जाते हैं। पहली स्टेज की तुलना में इसमें थोड़ा ज्यादा दर्द महसूस होता है और जोर लगाने पर खून भी आने लगता है।

ग्रेड 3

यह स्थिति थोड़ी गंभीर हो जाती है क्योंकि इसमें मस्से बाहर की ओर ही रहते हैं। हाथ से भी इन्हें अंदर नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में मरीज को तेज दर्द महसूस होता है और मल त्याग के साथ खून भी ज्यादा आता है।

ग्रेड 4

ग्रेड 3 की बिगड़ी हुई स्थिति होती है। इसमें मस्से बाहर की ओर लटके रहते हैं। जबर्दस्त दर्द और खून आने की शिकायत मरीज को होती है। इंफेक्शन के चांस बने रहते हैं।

बवासीर होने के कारण

बवासीर को Piles या Hemorrhoids भी कहा जाता है। बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जो बेहद तकलीफदेह होती है। यह एक अनुवांशिक समस्या भी है। यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इससे दूसरे व्यक्ति को होने की आशंका रहती है। बहुत पुराना होने पर यह भगन्दर का रूप धारण कर लेता है जिसे फिस्टुला (Fistula) भी कहते हैं। इसमें असहाय जलन एवं पीड़ा होती है।

अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना, शौच ठीक से ना होना, फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना,महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है, आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना,धूम्रपान और शराब का सेवन,अवसाद

पिलो सॉफ्ट कैप्सूल और पिलो सॉफ्ट क्रीम आयुर्वेद का एक ऐसा वरदान है जिसमें कई दुर्लभ जड़ी बूटियों का समावेश है जो की आयुर्वेद और वैज्ञानिक पद्धति द्वारा कई स्तर के परीक्षणों के बाद तैयार की गयी है। यह दवा पूरी तरह से आयुर्वेदिक और आयुष द्वारा प्रमाणित है जिसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
इस दवा से महज़ ३ दिनों में ही आराम मिलना शुरू हो जाता है और ज्यादातर (९०% ) केसेस में ३ महीने में पूरी तरह से समस्या ठीक हो जाती है। 3RD स्टेज तक के पाइल्स (खूनी व बादी), फिसर और भगन्दर (फिस्टुला) के केस पूरी तरह से इस दवा से ठीक होते हैं।

यह दवा कैसे काम करती है?
एंटी इंफ्लेमेटरी, लेक्सेटिव और एनाल्जेसिक गुणों की वजह से यह दवा सभी तरह के पाइल्स (खूनी व बादी बवासीर), फिसर, मस्से, भगन्दर (फिस्टुला) में पूरी तरह से असरकारी है। यह समस्या के लक्षणों जैसे की ब्लीडिंग (खून आना), दर्द, सूजन, जलन, खुजली, और बेचैनी आदि पर पूरी तरह से कारगर है और समस्या को धीरे-धीरे जड़ से खत्म करने में मदद करती है।

Testimonials