आम तौर से पाए जाने वाले इमली को अरबी और फारसी भाषा में दिए गए – हिंदी तामर और भारतीय खजूर सही मायने में उद्बोधक नाम है|
वैकल्पिक नाम -:
- इमली का वनस्पति शास्त्र में नाम: तामरिंदस इंडिका | Tamarind Indica
- इमली का अंग्रेजी नाम: तामरिंद | Tamarind
- इमली का संस्कृत नाम: अम्लिका
इमली के फायदे
इमली के पत्ते शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं एवं अपित्तकर हैं और पेट के कीड़ों को नष्ट करने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा, इसके पत्तों को पीलिया के इलाज में भी उपयोग में लाया जाता है। इमली के पेड़ की छाल एक स्तम्मक के रूप में काम आती है। इमली के फल का गूदा पाचन प्रणाली को शीतलता प्रदान करता है एवं रेचक और रोगाणु रोधक (anti-septic) भी होता है।
1. पाचन विकार
- पके हुए फल का गूदा पित्त्त की उलटी, कब्ज और गैस की समस्या, अपचन के इलाज मे लाभदायक है।
- यह कब्ज़ मे भी लाभकारी है।
- पानी के साथ इसके गूदे को कोमल करके बनाया हुआ निषेध भूख मे कमी, भोजन ग्रहण की इच्छा मे कमी होने पर लाभकारी है।
- इमली के दूध का पेय भी पेचिश के इलाज मे काफी लाभकारी है।
2. स्कर्वी
- इमली में विटामिन सी की मात्रा प्रचुर होती है और यह स्र्कवी को रोकने और उसके इलाज में लाभदायक है।
3. सर्दी जुखाम के इलाज के लिए
- इमली और काली मिर्च का रसम, दक्षिण भारत मे सर्दी-जुखाम के इलाज के लिये इसे प्रभावशाली घरेलू नुस्खा माना जाता है।
4. जलने के स्थान पर
- इमली की कोमल पत्त्तिया जलने का घाव के इलाज मे काफी लाभकारी है।
- उसे एक ढके हुए बर्तन पर आग से गरम करते है|
- फिर उसे अच्छे से पीस कर उसे छान लेते है जिससे रेतिले पदार्थ निकल जाये।
- छानने के बाद उसे तिल के तेल के साथ मिलाकर जले हुए भाग पर लगाया जाता है।
- इससे घाव कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।