वानस्पतिक नाम – ओसीमम सैंक्टम (Ocimum sanctum)
कुल – लामिआसै (Lamiaceae)
हिंदी – तुलसी, बरंदा
अंग्रेजी – होली बेसिल, सेक्रेड बेसिल (Holy Basil, Sacred Basil)
संस्कृत – मंजरी, बृंदा
तुलसी के पत्ते, अदरक, काली मिर्च, लौंग, तेज पत्ता, बड़ी इलायची और गुड़ का काढ़ा सर्दी, जुकाम व फ्लू में विशेष लाभप्रद है । तुलसी के ५ पत्तों का सेवन प्रतिदिन करने से हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
तुलसी के पत्तों के नियमित सेवन से स्मृति और एकाग्रता को बढ़ाया जा सकता है। तुलसी के नियमित प्रयोगों से कई प्रकार की बिमारियों को दूर रखा जा सकता है। तुलसी में मौजूद एंटी बैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुण स्किन से सम्बंधित रोगों में विशेष लाभकारी हैं। तुलसी का काढ़ा सर्दी, जुकाम व कफ जैसे रोगों में लाभदायक है। तुलसी की पत्तों को चाय बनाते समय डालने से चाय पीने से गैस नहीं बनेगा व सिरदर्द में भी आराम मिलेगा। तुलसी के पत्तों के २ बूँद रस को १ गिलास पानी में डालकर सुबह -सुबह पीने से पेट अच्छे से साफ़ होता है व पेट सम्बंधित शिकायतें दूर हो जाती हैं।
खून में से bad कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में तुलसी मददगार है फलस्वरूप इसके नियमित सेवन से हृदय रोग में विशेष लाभप्रद है ।
तिल या seasame आयल में तुलसी अर्क की कुछ बूंदे मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा रोगों में जल्द लाभ मिलता है । चेहरे की खोयी हुई चमक वापस लाने में तुलसी के रस का प्रयोग किया जा सकता है।
तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से क्रोनिक migrain के निवारण में मदद मिलती है। फ्लू रोग में तुलसी के पत्ते के काढ़े को सेंधा नमक मिलाकर लेने से फ्लू में आराम मिलता है।