आज हम आपको ऐसी योग मुद्राओ के बारे में बताने जा रहे है जो आपको कई तरह के रोगो में राहत देंगी-
1) प्राण मुद्रा
प्राण मुद्रा कैसे करे?
- हाथों की अनामिका और कनिष्ठिका उंगली के सिरे को, अंगूठे के अगले भाग से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है।
- ख्याल रहे की इनमे बहुत अधिक दबाव ना बने, बची हुई दो उँगलियों को सीधा रखा जाता है।
- इसका अभ्यास आप कहीं भी और कभी भी कर सकते है|
- मुद्रा का अभ्यास आप खड़े होकर ना करे, इसे बैठ कर किया जाना चाहिए|
- आप अभ्यास के लिए सुखासन या वज्रासन किसी भी आसन में बैठ सकते है|
- आपकी हथेलियों के पिछले भाग को जांघों पर रखे, सफ़ेद वाला हिस्सा आसमान की और करे|
- अपना ध्यान साँसों पर लगाकर अभ्यास करना चाहिए|
2) शून्य मुद्रा
शून्य मुद्रा कैसे करे?
- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ , ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये।
- मध्यमा अँगुली को हथेलियों की ओर मोड़ते हुए अँगूठे से उसके प्रथम पोर को दबाते हुए बाकी की अँगुलियों को सीधा रखें।
- अपना ध्यान साँसों पर लगाकर अभ्यास करना चाहिए, अभ्यास के दौरान सांसों को सामान्य रखना है।
- इस अवस्था में कम से कम 45 मिनट तक रहना चाहिये।
3) वायु मुद्रा
वायु मुद्रा कैसे करे?
- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ|
- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये ।
- अब आप अपने अंगूठे के बगल वाली अंगुली को हथेली की तरफ मोडकर अंगूठे की जड़ में लगा दें और बाकी बची उँगलियों को सीधी रखें ।
- इस अवस्था में कम से कम 8-10 मिनट तक रहना चाहिये ।
4) अपान मुद्रा
अपान मुद्रा कैसे करे?
- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ|
- अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये।
- अब अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के अग्रभाग में लगा दें तथा मध्यमा व अनामिका अंगुली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाएं और कनिष्ठिका अंगुली को सीधा रखें।
- इस अवस्था में कम से कम 48 मिनट तक रहना चाहिये।
5) पृथ्वी मुद्रा
पृथ्वी मुद्रा कैसे करे?
- तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श कर दबाएं।
- बाकि बच गई तीनों अंगुलियों को ऊपर की और सीधा तान कर रखें।
- आप इस मुद्रा को कहीं भी किसी भी समय कर सकते हैं।