वानस्पतिक नाम – ऐलन्थस एक्सेलसा (Ailanthus excelsa)
कुल – सीमारोउबासै (SImaroubaceae)
हिंदी – माहरुख, भूतझाड़, चूरन, अलदुआ
अंग्रेजी – ट्री ऑफ़ हेवन (Tree of Heaven)
संस्कृत – मडाला अरलू, अर्लुका, मडाला
महारूख एक विशाल 60-80 फ़ीट ऊंचा पेड़ होता है जो अक्सर सड़क के किनारे, बगीचों आदि में पाया जाता है । इसका वानस्पतिक नाम ऐलन्थस एक्सेलसा है । इसकी छाल में ग्लोकरूबिन, ग्लोकरूबिनोन, एक्सेलसिन, अलेन्तिक अम्ल, बीटा- सीटोस्टेरॉल जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं।
इसकी छाल का रस लगभग 15 बूँद को मट्ठा या छांछ 100 ml में मिलाकर सेवन करने से प्रबल वीर्य का निर्माण होता है ।
इसकी की जड़ों का चूर्ण प्रतिदिन 3 बार लेने से संधिबात में आराम मिलता है । महारूख की पत्तियों को अदरक और कपूर की समान मात्रा के साथ कुचलकर लेपित करने से कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है ।
महारूख की छाल और पत्तियों का काढ़ा महिलाओं में प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता के लिए बेहतर माना जाता है। इसकी पत्तियों का रस 20 ml , ताजे गीले नारियल को पीसकर तैयार किया गया दूघ 40 ml , साथ में मिश्री और शहद का मिश्रण पिलाने से प्रसूता महिला को ताक़त मिलती है।
महारूख की ताज़ी हरी छाल का रस, नारियल का पानी, गुड़ और शहद का मिश्रण देने से प्रसूति की वेदना काम हो जाती है। यही मिश्रण बुखार काम करने के लिए भी दिया जाता है ।
कान में दर्द होने पर महारूख की छाल के काढ़े की कुछ बूंदे कान में डालने से दर्द में राहत मिलती है